बुधवार, 24 फ़रवरी 2021

मुस्लिम और पारसी में क्या फर्क है?

हम भारतीयों को आप पारसियों पर बहुत गर्व है 

कोविड  वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम पारसी की है जिसका नाम है आदार पूनावाला 

आदार पूनावाला ने बॉम्बे पारसी पंचायत 60000 वैक्सीन ऑफर किया था कि पारसी लोगों को पहले वैक्सीन  लग जाए लेकिन बॉम्बे पारसी पंचायत के अध्यक्ष और उसके अलावा प्रख्यात उद्योगपति रतन टाटा ने यह कहा कि हम पहले भारतीय हैं बाद में पारसी हैं हमें वैक्सीन तभी चाहिए जब सभी भारतीयों को वैक्सीन मिलेगी

फैक्ट्री  से शुरू हो रही वैक्सीन   आगे कैसे बढ़ती है वह देखिए

 वैक्सीन जिस कांच की शीशी में यानी व्हाईल में पैक होती है उसे भी एक पारसी की कंपनी बनाती है इसका नाम स्कॉट्सलाइस है जिसके मालिक रीशाद दादाचन्दजी  हैं

वैक्सीन को पूरे भारत में ट्रांसपोर्टेशन के लिए रतन टाटा ने अपनी कंपनी की रेफ्रिजरेटेड वाहन मुफ्त में दिया है

यदि वैक्सीन को हवाई मार्ग द्वारा जेट से भेजना होता है तो उसके लिए एक दूसरे पारसी श्री जाल वाडिया ने अपने 5 जेट को दिया है

वैक्सीन को रखने के लिए जिस ड्राई आइस यानि लिक्विड कार्बन डाइऑक्साइड का प्रयोग किया जा रहा है उसे भी एक पारसी फ़रोक दादाभोई दे रहे है

भारत में 25 जगहों पर वैक्सीनेशन के स्टोर के लिए एक दूसरे पारसी आदि गोदरेज ने अपने रेफ्रिजरेटेड यूनिट को सौंप दिया है

सोचिए इन पारसियों  को भारत की कोई सुविधा नहीं चाहिए यह खुद को कभी अल्पसंख्यक मानते ही नहीं और आज तक एक भी पारसी  अल्पसंख्यक कल्याण योजना का फायदा नहीं लेता बल्कि पारसी  खुद को अल्पसंख्यक नही बल्कि  भारतीय समझते हैं भारत के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं भारत की जीडीपी में सबसे ज्यादा योगदान दे रहे हैं भारत को सबसे ज्यादा टैक्स दे रहे हैं और जब भी भारत की मदद करनी होती है तो सबसे आगे पारसी आते हैं 

जबकि भारत में एक और कौम (मुस्लिम) भी हैं जिनका टैक्स में योगदान नगण्य के बराबर है। लेकिन उसे भारत की हर सुविधाएं मुफ्त में चाहिए हर सरकारी अस्पताल में उसे मुफ्त में इलाज चाहिए हर सरकारी योजना का उसे फायदा चाहिए।

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