बुधवार, 17 मार्च 2021

शरद पवार+ देवेन्द्र। फारुख+ महबूबा।

देवेन्द ओर शरद नीति? आजकल महाराष्ट्रा की राजनीति में सचिन वझे का केस बहुत हंगामा मचाये हुए है,,, क्या ये मामूली है? या इसमे कितने गुनाह छिपे है,, इसका पता तो NIA लगा ही लेगा। पर इसको में महबूबा मुफ़्ती ओर BJP की सरकार से जोड़कर राजनीति समझने की कोशिश कर रहा, हु। कश्मीर में,, BJP ने महबूबा मुफ्ती के साथ मिलकर सरकार बनाई,, तो बहुत लोगो को अचरज हुआ था। पर ये एक लंबी सोच थी,, ओर नतीजा 2 साल में आगया,, महबूबा मुफ्ती ओर फारुख अब्दुल्ला जैसी राजनीतिक पार्टियां हमेशा के लिए खत्म हो गयी,, हमेशा के लिए। अब आप सोच रहे होंगे, इसका महारष्ट्र के राजनीति से क्या वास्ता? आपको याद होगा 2014 में महाराष्ट्र के चुनाव के बाद, राष्ट्रवादी के शरद पवार ने BJP के बिना माँगने पर भी खुद ही एलान कर दिया था,, के अगर शिवसेना BJP को सरकार बनाने में अड़ंगा कर रही है,, तो हम बाहर से BJP को बिनाशर्त साथ देंगे??,,, क्यो? क्यो राष्ट्रवादी BJP को बिना किसी शर्त के सरकार बनाने में सहयोग के लिए तैयार थी??? केवल एक मकसद ,, के शिवसेना को सत्ता से बाहर रखा जाए,,, ,,,,पर क्यो?? 2014 के बाद भारत की राजनीति पूरी तरह से बदल चुकी है,, ओर 2019 ने तो इस बदली हुयी राजनीति पर मोहर लगा दी,, ओर सभी राजनीतिक पार्टियों को एक बात समझ मे आगयी के अगले 15-20 साल BJP को हराना अब नामुमकिन है। देश जग चुका है,, जनता सोशल मीडिया के माद्यम से ज्यादया जागृत ओर ज्यादया देशभक्त बंनगयीं ओर बनते जा रही है। शरद पवार राजनीति के शकुनि जैसे धुरंदर है। ओ जानते है सत्ता में आना तो दूर की बात,, पर कम से कम विपक्ष में बने रहना जरूरी है। और इसके लिए कोंग्रेस काम नही आने वाली,,, क्योंके अब कोंग्रेस युग समाप्त हो गया है,,,। अगर एक सशक्त विरोधी पक्ष के रूप में अगर राष्ट्रवादी पार्टी को महाराष्ट्र में अपना स्थान बनाये रखना है,, तो शिवसेना को खत्म करना होगा।। क्यो के शरद पवार ये भी जानते थे के शिवसेना को अब ज्यादया दिन BJP झेलने वाली नही,,, ओर फिर अगर BJP ओर शिवसेना एक दूसरे के खिलाफ चुनाव मैदान में होंगे,,, तो शिवसेना विपक्ष के पार्टी के रूप में रहेगी। ( शरद पवार ये बात शायद अबतक समझ चुके थे,, के जनता भले अपक्ष को ओट दे,, पर कोंग्रेस या राष्ट्रवादी को अब काभि नही जिताएगी) अब मुद्दे पर आते है, आज के,,। आज का मुद्दा सबसे ज्यादा तब गरमाया जब देवेन्द्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के विधानसभा में सबूत के साथ सचिन वझे के साथ साथ शिवसेना को नंगा कर दिया। फडणवीस के पास इतने पक्के सबूत ओर इतने जल्द किसने पहुचाये???? बस यही से मामला साफ हो जाता है। मुख्यमंत्री तो शिवसेना के खुद ठाकरे है,,, पर गृहमंत्रालय शरद पवार के पार्टी के पास।,,, तो क्या ये सब सबूत खुद ग्रहमंत्री ने फडणवीस को दिए????? एक बात हमेशा याद रखे,, सामान्य स्तर के पोलिस अधिकारी की इतनी पहोच काभि नही हो सकती ,,के ओ उठे और सीधे सरकारी कागजात किसी पूर्व मुख्यमंत्री को जाकर दे आये। न ही कोई बड़ा पुलिस अधिकारी,,, क्योके उस के तो हर मूवमेंट पर सबकी नझर होती है। पर ये काम नेता आसानी से कर सकता है,, खास कर जो सत्ता पक्ष में हो और गृहमंत्रालय संभाल रहा हो,, ओर जो खुद विधानसभा में हाजिर हो🤣 अब आप कहोंगें शरद पवार ने सत्ता में रहते हुए आसानी से शिवसेना क्यो खत्म नहीं कि? इसकी दो वजह थी,,, उस समय इसकी जरूरत नही थी,, अगर उस समय करते तो,, BJP बड़ी पार्टी के रूप में महारष्ट्र में सामने आती,, ओर उस समय शिवसेना आदरणीय बालासाहेब ठाकरे जैसे सबसे सशक्त नेता के पास थी। अब एक बात पे ओर गौर करे। शिवसेना की स्थापना से लेकर 2019 तक,, शिवसेना के ठाकरे परिवार का सबसे स्ट्रांग पॉइंट क्या था? उनका ये वादा के हमारा परिवार काभि भी सत्ता में कोई पद नही लेगा। अगर खुद ही मुख्यमंत्री बनाना होता तो, आदरणीय बालासाहेब ठाकरे कई बार बन गए होते। शरद पवार ये बात भली भांति जानते थे, के अगर शिवसेना को नंगा करना है जनता के सामने या पूरी तरह से खत्म करना है,, तो जड़ से समाप्त करने के लिये खुद ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाना जरूरी है। और इसीलिए शिवसेने की माँग न होते हुए भी, खुद उद्धव ठाकरे की इच्छा न होते हुए भी शरद पवार ने यही माँग की के खुद ठाकरे मुख्यमंत्री बने,, ओर इसमे उनके सबसे ज्यादा काम आया नोसिखिया संजय रावुत।🤣 संजय रावुत को थोड़ी हवा क्या भर दी शरद पवार ने,, ये गुब्बारे की तरह फूल गया,, ओर बिना किसी दिशा के उड़ने लगा,,, इसे समझ मे काभि नही आया के इसके अंदर की हवा भी शरद पवार की है,, ओर इसे हवा में इधर उधर उड़ाने वाली हवा भी शरद पवार की है।🤣🤣 बस इसके चक्कर मे ठाकरे परिवार आगया। बाप मुख्यमंत्री और बेटा सीधा पर्यावरण मंत्री( जबके हैसियत ओर काबलियत नगर सेवक की भी नही) बेटे को यँहा ज्यादया दोष नहीं दे सकते,, उस बेचारे को राजनीति की इतनी परख ही नही,, कोई भी बेटा होता तो वही करता जो उसने किया* में हमेशा उसका पक्षधर ही रहूंगा) क्योके,, पवार जैसे शकुनि राज्यकर्ता को आजतक कोंग्रेस वाले काभि समझ न पाए,, जिसे शरद पवार ने खत्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ी,,, जंहा रावुत जैसे शिखण्डी फस गए,,, वँहा आदित्य जैसे अभिमन्यु का फसना तय है। शिवसेना हिन्दू के खिलाफ करा कर,,, उनकी खण्डनी पार्टी को जनता के सामने लाकर,,,,, शरद पवार ने सचिन वझे नाम की कील शिवसेना के ताबूत पर ठोक दी है। देखना भविष्य में अब जब भी चुनाव होंगे,, महाराष्ट्रा में केवल दो पार्टियों के बीच होंगे,, राष्ट्रवादी ओर BJP। ओर विपक्ष का पद पवार खानदान के पास ही रहेगा,, ओर शिवसेना फारुख अब्दुल्ला ,, महबूब मुफ़्ती की तरह इतिहास में जमा होजाएगी,, क्योके हिंदुओ के लिए अब BJP पर्याय बहुत स्ट्रांग रूप में सामने उपलब्ध है। 🇮🇳🇮🇳जयहिंद🇮🇳🇮🇳

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें