रविवार, 7 मार्च 2021

मिशन गजवा ये सूडान

सूडान का इस्लामीकरण कैसे हुआ ? 

गजवा-ए-सूडान

- अफ्रीका महाद्वीप का देश सूडान 11वीं सदी से पहले तक एक ईसाई बहुल देश था

-लेकिन जब अरब से इस्लाम का जिहाद शुरू हुआ तो मिस्र ट्यूनीशिया वगैरह को फतेह करते हुए धीरे धीरे सूडान में भी इस्लामिक घुसपैठ शुरू हुई

- सूडान के कल्चर को जिहाद ने अपने दो जबड़ों से चबाना शुरू किया... पहला जबड़ा था तलवार से हमले का यानी लगातार अरबी हमलावरों ने सूडान को आंक्रांत करना शुरू किया 

- जिहादी का दूसरा जबड़ा था सूफिज्म और फकीरों का... इन लोगों ने इस्लाम को अच्छा बता कर सूडान में प्रचार शुरू किया

- सूडान में भी ठीक वैसा ही हुआ जैसा भारत में हुआ था... भारत की तरह सूडान में भी ईसाई और वहां की स्थानीय जातियां  आपस में लड़ती रहीं आखिरकार वहां भी मध्यकाल यानी आज से 500 साल पहले अली वंश बहुत मजबूती से स्थापित हो गया
 फिर क्या था... बिलकुल ठीक हिंदुस्तान की तरह कट्टर शरीयत को लागू किया गया और ईसाइयों का जबरदस्त दमन शुरू कर दिया गया । इस तरह ईसाई आबादी परेशान होकर इस्लाम स्वीकार करने पर मजबूर होने लगी 

- लेकिन समय बदला... कुछ समय के लिए ईसाइयों को थोड़ी राहत तब मिल गई .. जब 19वीं सदी में यानी आज से लगभग डेढ सौ साल पहले अंग्रजों ने सूडान पर अपना कब्जा जमा लिया । सूडान धीरे धीरे एक इस्लामिक मुल्क में तब्दील हो रहा था लेकिन साउथ सूडान में दोबारा ईसाई मिशिनरियों को ईसाइत ये प्रचार का मौका मिल गया 

- लेकिन 1956 में सूडान से अंग्रेज चले गए । 1989 में सूडान के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ आ गया । तब यहां कर्नल उमर बशीर ने शासन अपने हाथ में ले लिया ।

- तानाशाह बनते ही उमर बशीर ने पूरे तीस साल के लिए सूडान में शरीयत लागू कर दी । तब तो सूडान में ईसाइयों पर अत्याचार की इंतहां हो गई

- महिलाओं का खतना शुरू हो गया... इस्लाम त्यागने की सजा मौत हो गई.. पूरा शरीयत कोड लागू हो गया... काफिरो को चुन चुन कर मार दिया गया

- हालत ये हो गई कि 2010 में सूडान में 80 प्रतिशत मुसलमान थे... 2015 में यहां 85 प्रतिशत मुसलमान हो गए और आज की तारीख में यहां 97 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है 

- सूडान ईसाइयों के हाथ से निकल गया... अब आज ईसाई काफिरों का जीवन वहां काफी ज्यादा नरक जैसा हो गया है 

- तानाशाह बशीर के राज के खात्मे के बाद 2019 में सूडान में दोबारा सेक्यूलरिज्म की वापसी की बात कही गई है लेकिन अब वहां 97 प्रतिशत मुस्लिम आबादी होने के बाद सेक्युलरिज्म की बात करना ही बेमानी है

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें