मंगलवार, 2 मार्च 2021

1971को92000 को छोड़ दिया पर भारत के कई यो को पाकिस्तान में मरने के लिए छोड़ दिया?

#मोदी_है_तभी_मुमकिन_हुआ!!!

विंग कमांडर अभिनंदन का नाम तो आप निश्चय ही नहीं भूले होंगे....... शायद उनकी मूछें भी याद ही होंगी....
लेकिन इसी भारतीय सेना के कुछ अन्य जांबाज़ पायलेट के नाम नीचे मैंने लिखे हैं...... इनकी तस्वीरें देखना तो दूर हममें से कोई एकाध ही होगा जिसने ये नाम सुन रखे होंगे........ लेकिन इनका रिश्ता अभिनंदन से बड़ा ही गहरा है.... पढ़िए ये नाम....

विंग कमांडर हरसरण सिंह डंडोस
स्क्वाड्रन लीडर मोहिंदर कुमार जैन
स्क्वाड्रन लीडर जे. एम. मिस्त्री
स्क्वाड्रन लीडर जे. डी. कुमार
स्क्वाड्रन लीडर देव प्रसाद चटर्जी
फ्लाइट लेफ्टिनेंट सुधीर गोस्वामी
फ्लाइट लेफ्टिनेंट वी. वी. तांबे
फ्लाइट लेफ्टिनेंट नागास्वामी शंकर
फ्लाइट लेफ्टिनेंट राम एम. आडवाणी
फ्लाइट लेफ्टिनेंट मनोहर पुरोहित
फ्लाइट लेफ्टिनेंट तन्मय सिंह डंडोस
फ्लाइट लेफ्टिनेंट बाबुल गुहा
फ्लाइट लेफ्टिनेंट सुरेश चंद्र संदल
फ्लाइट लेफ्टिनेंट हरविंदर सिंह
फ्लाइट लेफ्टिनेंट  एल एम सासून
फ्लाइट लेफ्टिनेंट के. पी. एस. नंदा
फ्लाइट लेफ्टिनेंट  अशोक धवले
फ्लाइट लेफ्टिनेंट  श्रीकांत महाजन
फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुरदेव सिंह राय
फ्लाइट लेफ्टिनेंट रमेश कदम
फ्लाइट लेफ्टिनेंट प्रदीप वी आपटे
फ्लाइंग ऑफिसर कृष्ण मलकानी
फ्लाइंग ऑफिसर  के पी मुरलीधरन
फ्लाइंग ऑफिसर  सुधीर त्यागी
फ्लाइंग ऑफिसर  तेजिंदर सेठी

ये सभी नाम अनजाने लगे होंगे...... ये भी भारतीय वायुसेना के योद्धा थे जो 1971 की जंग में पाकिस्तान में बंदी बना लिए गए........और फिर कभी वापस नहीं आये इनकी चिट्ठियां घर वालों तक आयी पर भारत सरकार ने कभी इनकी खोज खबर न ली 
1972 में शिमला में #एक_कथित_लोह_महिला भुट्टो के साथ डॉक्टर डॉक्टर खेलकर 90 हज़ार पाकिस्तानियों को छोड़ने का समझौता तो कर आयी..... पर इन्हे भूल गयी...

ये विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान जितने खुशकिस्मत न थे के इनके लिए इनकी सरकार ने मिसाइलें नहीं तानी, न देश के लोगों ने इनकी खबर ली, न अखवारों ने फोटो छापे..... इन्ह मरने को, पाकिस्तानी जेलों में सड़ने को छोड़ दिया गया...... इनके वजूद को नकार दिया गया....
और ये पहली बार नहीं हुआ था रेज़ांगला के वीर अहीरों को भी नेहरू ने भगोड़ा करार दिया था.... शैतान सिंह भाटी को कायर मान लिया था..... अगर चीन ने इनकी जांबाजी को न स्वीकारा होता, एक लद्दाखी गडरिये को इनकी लाशें न मिलती..... ये वीर अहीर न कहलाते, शैतान सिंह भाटी परम वीर चक्र का सम्मान न पाते.....

यही रवैया रहा गांधी-नेहरू कुनबे का देश के वीर सपूतों के प्रति...... और यही फ़र्क़ है मोदी के होने और न होने का...
आप कल्पना भी नहीं कर सकते अगर मोदी की जगह उनका गूंगा पूर्ववर्ती होता अभिनंदन का नाम भी शायद इसी लिस्ट में लिखा होता......

वो मोदी है, देश के सम्मान की रक्षा को दृढ़प्रतिज्ञ और रक्षक योद्धाओं के लिए भी पूर्ण समर्पित.......
और यही वजह है के हम उसके भक्त हैं..... किसी बेगैरत छिनाल के गुण गाने वाले चमचे नहीं!!!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें