आपने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का नाम तो सुना होगा,
ट्रिपल तलाक इत्यादि के मौके पर इसका नाम कई बार टीवी पर आया, मीडिया में आया।
असल में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड एक NGO है जिसका मुख्य दफ्तर दिल्ली में है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड आज हमारी संसद और यहाँ तक की सुप्रीम कोर्ट को भी कई मौकों पर धमकी देता है।
भारत के खिलाफ जंग की धमकी, जिहाद की धमकी,हिंसा की धमकी इत्यादि और अब जो हम आपको इस संस्था के बारे में बताने जा रहे है, कदाचित आपको ये जानकारियां कहीं
मिले ही न।
ये संगठन कब बना किसने बनाया।
वैसे आपके मन में आता होगा कि चूँकि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड है तो इसे मुसलमानो ने ही बनाया होगा।
पर अब जानिए इसकी सच्चाई
1971 आते आते इंदिरा गाँधी की लोकप्रियता बहुत घटने लगी थी, 1975 में इंदिरा गाँधी ने आपातकाल भी लगाया था।
इंदिरा गाँधी को ये देश जैसे विरासत में जवाहर लाल नेहरू से मिला था।
इंदिरा इसे अपनी जागीर समझती थी, घटती लोकप्रियता,और विपक्ष की बढ़ती लोकप्रियता से परेशान होकर,इंदिरा गाँधी ने सेक्युलर भारत में मुसलमानो के तुष्टिकरण के लिए स्वयं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की 1971 में स्थापना की।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के लिए इंदिरा गाँधी ने विशेष नियम भी बनाया।
इस संस्था का आज तक कभी ऑडिट नहीं हुआ है,
जबकि अन्य NGO का होता है पर इसे विशेष छूट मिली हुई है।
ये अरब के देशों से कितना पैसा पाती है, उस पैसे का क्या करती है, किसीको कुछ नहीं पता
91% मुस्लिम महिलाएं ट्रिपल तलाक के खिलाफ है फिर भी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट को हिंसा तक की धमकी देता है।
आपको जानकरआश्चर्य होगा की 95% मुसलमान महिलाओ को तो ये भी नहीं पता की मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड असल
में है क्या
इस NGO में केवल कट्टरपंथी मुस्लिम
ही है।
नरेंद्र मोदी के सर पर फतवा देने वाला इमाम बरकाती भी इस NGO का सदस्य है।
जिहादी किस्म के ही लोग इस संस्था में हैं।
इस संस्था में 1 भी महिला नहीं है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मुसलमानो का नहीं बल्कि इंदिरा गाँधी का बनाया हुआ है।
वैसे आपको एक जानकारी दे दें कि 1930 में मुस्लिम लीग को पाकिस्तान बनाने का आईडिया मुसलमानो ने नहीं बल्कि मोतीलाल नेहरू ने दिया था।
इस परिवार ने भारत का इतना नाश किया है कि आज भारत की 99% समस्या इनके कारण ही है।...
स्तोत्र विकिपीडिया
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